Kyun....Aakhir Kyun ?

क्यूँ—— आखिर क्यूँ ?

बेबस, बेतहाशा, बदहवास सी
उदास ज़िन्दगी है क्यूँ ?

अगली सांस लेने के लिए मजबूर
हर एक सांस है क्यूँ ?

कोई हसरत, कोई आरज़ू नहीं, पर
कुछ पाने की आस है क्यूँ ?

रेगिस्तान में ढूँढ़ते है पानी का चश्मा
यह बेमानी तलाश है क्यूँ ?

घूम रहे हैं किन वीरान राहों पर
ऐसी अनजान प्यास है क्यूँ ?

कौन जगा रहा है इस दिल में— दबे
हुए एहसास —- कौन है और क्यूँ ?

बेरुखी और मतलबी सी दुनिया में,
ढून्ढ रहा है जीने की वजह ——
यह पागल मन —- आखिर क्यूँ ?

- शिवानी 'नरेंद्र' निर्मोही