DIL HI TO HAI

दिल ही तो है (फेब’ २०२२)

बच्चा नहीं, मासूम है — पर सच्चा है।
उम्र की हर देहलीज़ पहचानता है।
थोड़ा बचपना वाजिब है, जानता है।
——-फिर भी दिल ही तो है।।

टूटते हैं फिर भी सपने देखता है।
कोई शर्तें नहीं बस उम्मीद रखता है।
अनोखे सपनो की फेहरिस्त रखता है।
——बेख़ौफ़ दिल ही तो है।।

रोज़ बिगड़ता – रोज़ टूटता – रोज़ जुड़ता है।
फिर भी कोई आस नहीं छोड़ता है।
एक अटूट विश्वास से रोज़ नाता जोड़ता है।
——बेबाक दिल ही तो है।।

तू बेगाना न सही, पर अपना नहीं – पराया है।
यह हकीकत मानता और जानता भी है।
हर पल तेरे लिए दुआ मांगता भी है।
——बेचारा दिल ही तो है।।

तुझसे आशनाई कब से है, पर एक तरफ़ा है।
यह जज़्बात ही सही, एहसासों में भी रुसवा है।
फिर भी तेरी हर गम में रोने वाला ——-
तेरी हर ख़ुशी में में हसने वाला ——
तुझे अपना मानने वाला ——-
—–बस दिल ही तो है
—– मेरा दिल ही तो है

- शिवानी 'नरेंद्र' निर्मोही