DHOKHA

धोखा (सेप ‘ २१)

जानते हैं जो हमें, पहचानते हैं कबसे।
पूछते हैं अक्सर यह हैरत से।।

क्या है जिसे छिपा रहे हो सबसे।
तुम तो खुश रहते थे हमेशा —
मुस्कुरा के मिलते थे दुश्मनो से।।

ऐसा क्या हुआ जो खफा हो जग से।
कह भी दो हाल ए दिल दोस्तों से।
धोखा हुआ तुम्हे, या मिला है किसी से।।

अब हम क्या और कैसे बतायेँ उनसे।
कैसे रूबरू करायें इस हकीकत से।
धोखा मोल भाव के बाद हमने लिया है किसी से।।

कोई हमें क्या और क्यों देगा —–धोखे
–को जीने की वजह बना लिया है कबसे।।

प्यार बेतहाशा इस कदर किया हमने।
की धोखे को भी जिया किये सुकून से।।

यह सौदा कुछ अलग था बाकी सबसे।
जो हमें मिला गया हमारी फिराख दिली से।।

प्यार के बदले धोखा —- अकसर सुने हैं यह किस्से।
धोखे के बदले प्यार, कैसे करें — पूछे कोई हमसे।।
धोखे के बदले प्यार, कैसे करें— पूछे कोई हमसे ——

- शिवानी 'नरेंद्र' निर्मोही