CORONA KAAL MEIN

यह दूरियां

यूँ तो इतनी नज़दीकियां न थी,
पर बेवजह की दूरियां भी कहाँ थी।

यूँ तो आँखें रोज़ होती चार न थी,
पर तेरे दीड के लिया लाचार न थी।

यह दिल तुम्हारे लिए धड़कता न था,
और मिलने के लिया तदाता भी न था।

इस सीने में ज़माने भर के गम थे,
ज़िन्दगी में भी बहुत पेचो ख़म थे।

साथ-साथ रहने के लम्हे चाहे कम थे,
वही लम्हे ज़ख्मो पर रखते मरहम थ।

यह दिल तूम बिन बेक़रार न था,
लगत था हम दोनों में प्यार न था।

दूरियों ने मजबूरियों को इस कदर बढाया है,
अनजाने एहसास ने दिल में घर बनाया है।

कहीं कुछ तो दबा था इस सीने में,
कोई तो कमी थी इस तरहाँ जीने में।

जिसका एहसास इस मौसम ने कराया है,
शायद वो प्यार ही था अब समझ में आया है।

काश यह मौसम जल्द ही गुज़र जाए,
वो जो दिल में दबी है, तुमसे कह पायें।

- शिवानी 'नरेंद्र' निर्मोही