DILO-DIMAAG KI KASH M KASH
दिलो – दिमाग की कश म कश (अप्रैल ‘ २२)
दिल और दिमाग में छिड़ी जंग है
वैसे तो दोनों ही रहते अंग संग हैं।
एक से नस नस में लहू की रवानगी है
दूसरा अगर बिगड़ जाए तो दीवानगी है।
एक कहीं भी – कभी भी फिसल जाता है
दूसरा हर बार खतरे की घंटी बजाता है।
दिल बिगड़ जाए तो शायद हुआ प्यार है
दिमाग बिगड़ जाए तो जीना ही दुश्वार है।
दिल तो बच्चा है जी, थोड़ा कच्चा है जी
दिमाग उम्र के साथ और पकता है जी।
दिल, दिल के हाथों हो जाता मजबूर है
दिमाग ऐसी हर मजबूरी से कोसों दूर है।
इस जंग में जीत ता हमेशा दिल ही है
अनचाहे ही सही, दिमाग भी शामिल है।
दिल है की कुछ मानता नहीं है—–
दिमाग ऐसा कुछ जानता नहीं है —-
सब कहते हैं दिल तो पागल है
पर दिमाग सच में कर देता पागल है।
दिल जब ज़िद्द पर आमादा हो जाता है
दिमाग एक लम्बी छुट्टी पर चला जाता है
दिमाग काश सही समय पर जाग जाता
दिल हारी हुयी जीत की ख़ुशी न मनाता।
दिलो दिमाग की जाने यह कैसी जंग है
दोनों ने ही छोड़ दिया मेरा