TUMHAARI PYAAS
तुम्हारी प्यास ---
आज का दिन यूँ तो हर रोज़ जैसा है
फिर भी न क्यों आज मन उदास है।
आज के दिन का भी अपना इतिहास है
मेरे कुछ बुरे दिनों में ये सबसे ख़ास है।
वैसी ही सर्द सुबह, वैसी ही वीरानी
वही बेचैनी और दुखद एहसास है।
यूँ तो तुम्हे देखे एक अरसा हो गया
पर तुम्ही को पुकारती हर एक सांस है।
सब कहते की अब तुम नहीं आओगे
वो क्या जाने तुम्हारा साया मेरे पास है।
आज भी मेरे हर जुमले में बोलते हो तुम
तुम्हारी वजह से ही मेरी हर एक बात ख़ास है।
बागीचे में हँसता है आज भी गेंदे का फूल
शायद उसे भी तुम्हारी ही तलाश है।
वो मैगज़ीन रैक, वो चाय का कप, वो अलमारी
वो घर का सूना कोना, लगाए तुम्हारी आस है।
दूर जा कर भी दूर नहीं हुए तुम, कोई और
भी आ नहीं सका मेरे उतना पास है।
जहां हो शायद वहां से देख पाओ तुम
इन सूनी आँखों में अब भी तुम्हारी ‘प्यास’ है।
- शिवानी 'नरेंद्र' निर्मोही